स्पेन के अलमेंद्रलेजो शहर से एक चिंताजनक घटना सामने आई है, जहां 15 स्कूली बच्चों पर अपनी सहपाठिनों की डीपफेक तकनीक से अश्लील तस्वीरें बनाने और सोशल मीडिया पर साझा करने का आरोप लगा है। इन बच्चों को एक साल की परिवीक्षा की सजा सुनाई गई है और उन्हें तकनीक के जिम्मेदार उपयोग पर विशेष कक्षाओं में भाग लेने का आदेश दिया गया है।
घटना का विवरण
इस घटना का पता तब चला जब माता-पिता ने पुलिस को शिकायत दी कि उनकी बेटियों की नकली नग्न तस्वीरें WhatsApp ग्रुप पर साझा की जा रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ये बच्चे अपनी सहपाठिनों की तस्वीरों में डीपफेक तकनीक का उपयोग कर अश्लील सामग्री तैयार कर रहे थे।
कोर्ट का निर्णय
स्पेन की युवा अदालत ने इन 15 बच्चों को बाल दुर्व्यवहार की तस्वीरें बनाने के 20 मामलों में दोषी पाया। अदालत ने बताया कि इन बच्चों ने एआई अनुप्रयोगों का इस्तेमाल करके मूल छवियों में हेरफेर किया। सभी बच्चों की उम्र 13 से 15 वर्ष के बीच बताई गई है। स्पेन का कानून 14 वर्ष से कम उम्र के नाबालिगों को आपराधिक मुकदमे से बचाता है, लेकिन ऐसे मामलों को बाल संरक्षण विभागों को ट्रांसफर किया जाता है।
सामाजिक प्रभाव और सुरक्षा
यह मामला डीपफेक तकनीक के संभावित खतरों को उजागर करता है, खासकर जब इसे गलत तरीके से इस्तेमाल किया जाता है। डीपफेक तकनीक का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, और इसके दुरुपयोग से सुरक्षा और नैतिकता के मुद्दे उठ रहे हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और टेक्नोलॉजी कंपनियों को इस दिशा में और सतर्क रहने की आवश्यकता है।
भारत में स्थिति
भारत में भी डीपफेक्स के मामले बढ़ रहे हैं, जिसमें सेलेब्रिटीज के जाली वीडियो बनाना शामिल है। हाल ही में, केंद्र सरकार ने फेसबुक और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को चेतावनी दी है कि वे डीपफेक्स और अन्य गलत जानकारी फैलाने वाले कंटेंट पर नजर रखें और इसे रोकने के लिए कदम उठाएं।
निष्कर्ष
यह घटना डीपफेक तकनीक के दुरुपयोग की गंभीरता को दर्शाती है और हमें इसे जिम्मेदारी से उपयोग करने की आवश्यकता की याद दिलाती है। टेक्नोलॉजी के तेजी से विकास के साथ, इसके सुरक्षित और नैतिक उपयोग पर ध्यान देना बहुत महत्वपूर्ण है।